लोकतान्त्रिक गणतन्त्र के राह पर चलनेवाले हम सब राही
किया है संकल्प हमने दृढ फेक देने का जड से उखाड सत्ता शाही
तक्ते उडा देंगे हम तानाशाहीे जन आन्दोलन के सुनामी छाल से
नाकाम बना देंगे हम दुश्मनों के हर हमले जनशक्ति के ढाल से
कदम से कदम मिलाकर हम निरन्तर आगे बढते ही जायेंगे
जनराजं जग में स्वर्णीमं एक दिन जरुर हम सब लायेंगे
बनेगा जो रोडा अग्रगमन के हमारे रास्ते पर आ खडा
जान लो कि जरुर एक दिन जंग मे हमारे पैर तले पडा
हर जंग हम जितते रहे सर्वदा हारना हमने कभी न जाना
सारे जगं ने है हमें जंग के मैदान में जरुर लोहा माना
दुश्मनोंका तोपों का भी दिया है जबाब हमने नंगे हातों से
डरें क्यों हम किसी की युद्ध उन्मादी दम्भ भरी बातो्र से
जनशक्ति ंके सामने घुटने टेक देते हें बडे बडे शाहंशाह भी
अथक योद्धा ही तो ढू“ढ लेता है का“टाें के बीच से राह भी
कठीन कितना क्यों न हो रास्ता पहु“चना है हमें अपने मंजील
हिक्मतवालाओंं के लिए है नहीं कोई भी काम जग में मुश्किल
बनाना है एक दिन स्वर्ग हमें पैर तले पडा इस धरा को भी
जिलाना है हमें जैसे भी हो इस धरती में इन्सान मरा को भी
खिच देगें हम इस धरती पर नव नेपालका एक सुन्दर चित्र
बना देगें हम सारे जहां को ही एक दिन अपना सच्चा मित्र
शुरु की है हमने इस धरती पर नव युग की एक नवीन कदम
बढते रहेंगे अपने राह पर अविचल पार करते हर मुसीबत हम
मेहननकश इन्सान ही बनेगा इस धरती का अव सच्चा मालिक
शाहंशाहोंका नही्र शहीदों का बनेगा अव हर चौराहे परं शालिक
लोकतान्त्रिक गणतन्त्र के राह पर चलनेबाले हम सव राही
किया है संकल्प हमने दृढ फेंक देने का जड से उखाड सत्ता शाही ।
९ – ५ – ०६३
२५ – ८ – २००६
( बुटवलमा भएको अवधि भोजपुरी मैथिली आदि भाषाको कवि गोष्ठीमा वाचन गरिएको कविता हो यो )
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